माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं।
Siddhpeeth Shiv Baglamukhi Mandir, Saharanpur, Uttar Pradesh | सिद्धपीठ शिव बगलामुखी मंदिर, सहारनपुर उत्तर प्रदेश
Address: Paper Mill Rd, Brahampury Colony, Raj Vihar Colony, Saharanpur, Uttar Pradesh 247001 Phone: 096900 66000
सिद्धपीठ शिव बगलामुखी मंदिर, सहारनपुर जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक स्थल है। यह मंदिर सात्विक ऊर्जा से भरा हुआ है, जहां पर साधना और पूजा का वातावरण बेहद शुद्ध और शांतिपूर्ण होता है। यहाँ माँ बगलामुखी और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
माँ बगलामुखी को शत्रु नाश, सिद्धि, और विजय की देवी माना जाता है, और इस मंदिर को एक सिद्धपीठ के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जहाँ पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। यह मंदिर सात्विक ऊर्जा से परिपूर्ण है, और यहाँ की पूजा विधियाँ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करती हैं।
यहाँ के भक्त विशेष रूप से नवरात्रि और बगलामुखी जयंती जैसे खास दिनों पर विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं, जिससे उन्हें जीवन के हर पहलू में सफलता और सुख की प्राप्ति होती है।
माँ बगलामुखी, हिंदू धर्म की दस महाविद्याओं (दस महाविद्याओं में से एक) में से एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें “विजय की देवी” और “शत्रु नाशिनी” के रूप में पूजा जाता है। उनका नाम "बगलामुखी" संस्कृत शब्दों से आया है "वह देवी जो शत्रु के मुँह को बंद कर देती हैं", यानी वह देवी जो शत्रु को निष्क्रिय करके उसे परास्त कर देती हैं।
माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या माना जाता है और उनके नाम का विशेष अर्थ और महत्व है। यह देवी बुद्धि, शक्ति, और विजय की देवी के रूप में पूजा जाती हैं। उनके दस महाविद्याओं में शामिल होने का कारण उनकी अत्यधिक शक्ति और समस्त शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता है।
बगलामुखी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – "बगला" और "मुखी"।
"बगला" का अर्थ है "जीभ" और
"मुखी" का अर्थ है "मुख या चेहरा"।
इस प्रकार, "बगलामुखी" का शाब्दिक अर्थ होता है "जिसकी जीभ पर नियंत्रण हो", अर्थात् वह देवी जो किसी भी व्यक्ति की जीभ पर पकड़ बना सकती हैं और उसके शब्दों, विचारों, और मानसिक स्थिति पर प्रभाव डाल सकती हैं। बगलामुखी की पूजा से यह शक्ति प्राप्त होती है कि आप किसी भी प्रकार के शत्रु या नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बच सकें और उनका शमन कर सकें।
इस देवी की विशेषता यह है कि वे शत्रु की जुबान बंद कर सकती हैं, और उसे बोलने से रोक सकती हैं, जिससे उसकी शत्रुता, विरोध या धोखा देने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
माँ बगलामुखी को बुद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे ज्ञान, बुद्धि, और समझदारी का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी पूजा से:
मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है,
बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है,
और मन के विकार दूर होते हैं।
यह देवी विशेष रूप से उन लोगों के लिए आदर्श हैं जो तनाव, मनोकामनाओं की विफलता, या स्मरण शक्ति की कमी से जूझ रहे हैं। माँ बगलामुखी की उपासना से व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है और उसे दुष्कर परिस्थितियों में भी सही निर्णय लेने की क्षमता मिलती है।
माँ बगलामुखी को पीताम्बरा देवी के रूप में भी पूजा जाता है। पीताम्बरा का शाब्दिक अर्थ होता है पीले वस्त्र पहनने वाली देवी, जो उनके शक्ति और महानता का प्रतीक है। पीला रंग शक्ति, धन, और विजय का प्रतीक माना जाता है, और इस रंग का संबंध माँ बगलामुखी के साथ उनकी सामर्थ्य को दर्शाता है।
पीताम्बरा रूप में माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती है जो धन और समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं।
यह रूप उन भक्तों के लिए अत्यधिक फलदायी है जो जीवन में वित्तीय समस्याओं, रोक-टोक या विपत्ति का सामना कर रहे होते हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है, और इस रंग से जुड़ी सारी वस्तुएं – जैसे पीला फूल, पीला वस्त्र, पीले फल – पूजा में उपयोग की जाती हैं।
माँ बगलामुखी का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन के हर प्रकार के संकटों, शत्रुओं, और विघ्न-बाधाओं को दूर करती हैं। उनके साथ जुड़ी मान्यताएँ, मंत्र, और पूजा विधियाँ शत्रु परास्त करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती हैं।
माँ बगलामुखी की उत्पत्ति से संबंधित कई कथाएँ और पुरानी शास्त्रों में वर्णन मिलता है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, माँ बगलामुखी का जन्म सात्विक शक्तियों की रक्षा और दुष्ट शक्तियों से संघर्ष के लिए हुआ था।
यह कथा बहुत रोचक है:
देव-दानव युद्ध में भूमिका: एक समय की बात है, जब देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष चल रहा था। असुरों की सेना देवताओं से बहुत मजबूत थी, और देवता हार रहे थे। तब ब्रह्मा जी ने माँ बगलामुखी को जन्म दिया। माँ बगलामुखी ने अपनी शक्तियों से असुरों की शक्ति को नष्ट कर दिया और देवताओं को विजय दिलाई। इस प्रकार, उनका अवतरण शत्रुओं की शक्ति को नष्ट करने और सही रास्ते पर लाने के लिए हुआ था।
तंत्र-मंत्र के प्रभाव से रक्षा: माँ बगलामुखी की पूजा तंत्र-मंत्र की विद्या से जुड़ी है, खासकर जब लोग तंत्र-मंत्र से परेशान होते हैं या उन पर किसी बुरी शक्ति का प्रभाव होता है। ऐसे समय में माँ बगलामुखी की उपासना उन्हें इन नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाती है।
माँ बगलामुखी का रूप अत्यधिक शक्तिशाली और वीर होता है। चित्रों और मूर्तियों में उन्हें पीले रंग में दर्शाया जाता है, क्योंकि पीला रंग ज्ञान, समृद्धि, और शांति का प्रतीक है। उनके अन्य प्रमुख प्रतीक इस प्रकार हैं:
शत्रु के मुंह को बंद करना: माँ बगलामुखी के एक हाथ में वे अपने शत्रु के मुंह को बंद करती हैं, जो यह दर्शाता है कि वह किसी भी शत्रु की शक्ति और बातों को निष्क्रिय कर देती हैं।
क्लब और बंधन: उनके दूसरे हाथ में एक लाठी (क्लब) और एक बंधनी (बंधक बनाने वाली रस्सी) होती है, जो दर्शाता है कि वे शत्रु को नियंत्रित करती हैं और उसे वश में कर देती हैं।
निष्कलंक रूप: माँ बगलामुखी का रूप सादा और निष्कलंक होता है, जो यह दर्शाता है कि वे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी शक्तिशाली होती हैं। वे केवल शत्रु को शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी नष्ट कर देती हैं।
माँ बगलामुखी का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि वे शत्रु परास्त करने, व्यक्तिगत संघर्षों से मुक्ति, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी उपासना उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है जो जीवन में किसी प्रकार के विरोध, संकट, या शत्रु का सामना कर रहे हैं।
माँ बगलामुखी के प्रमुख प्रभाव:
शत्रु नाश: माँ बगलामुखी की पूजा से शत्रु शांत होते हैं और उनके प्रयासों में विघ्न आ जाता है। यह पूजा उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो किसी व्यक्ति या संस्था के शत्रु के रूप में परेशान हैं।
तंत्र-मंत्र और काले जादू से रक्षा: यदि किसी पर तंत्र-मंत्र या काले जादू का प्रभाव हो, तो माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से उन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो सकता है।
मानसिक शांति: यदि कोई मानसिक तनाव, चिंता, या डर का सामना कर रहा है, तो माँ बगलामुखी की पूजा उसे मानसिक शांति प्रदान करती है।
सकारात्मकता का प्रवाह: माँ बगलामुखी न केवल शत्रु को समाप्त करती हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी करती हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को आत्मविश्वास, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
माँ बगलामुखी की पूजा एक शक्तिशाली साधना है, जो व्यक्ति को जीवन के कठिन संघर्षों से उबारने, शत्रु परास्त करने, और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक होती है। यदि आप जीवन में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं का सामना कर रहे हैं, तो माँ बगलामुखी की उपासना आपके लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है।
माँ बगलामुखी की पूजा से न केवल शत्रु परास्त होते हैं, बल्कि जीवन में हर दिशा से सफलता और समृद्धि का रास्ता भी खुलता है।
माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होती है जो किसी शत्रु, मानसिक तनाव, या जीवन में किसी बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। यदि आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो आपको नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहा है, या आप किसी व्यवसायिक संकट से जूझ रहे हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा आपके लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है।
माँ बगलामुखी की पूजा से आप पा सकते हैं:
शत्रु पर विजय – शत्रुओं को परास्त करने के लिए माँ बगलामुखी की पूजा अत्यधिक प्रभावशाली है।
मानसिक शांति – मानसिक तनाव, चिंता, और डर से मुक्ति प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी का आशीर्वाद अत्यधिक आवश्यक है।
व्यवसाय में सफलता – यदि व्यवसाय में किसी प्रकार की विघ्न-बाधाएं आ रही हैं, तो माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से सफलता मिल सकती है।
सुख और समृद्धि – माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
माँ बगलामुखी की पूजा का मुख्य उद्देश्य शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त करना है। उनके आशीर्वाद से किसी भी प्रकार के शत्रु का प्रभाव समाप्त हो जाता है। चाहे वह व्यक्तिगत शत्रु हो, व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा हो या फिर जीवन में कोई बाहरी ताकत जो परेशानी का कारण बन रही हो— माँ बगलामुखी का ध्यान और मंत्र जाप शत्रु को निष्क्रिय करने के लिए प्रभावी साबित होता है।
क्यों करें पूजा?
यदि आप किसी शत्रु के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं या किसी व्यक्ति से मानसिक या शारीरिक कष्ट झेल रहे हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा से उस व्यक्ति या स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
माँ बगलामुखी की पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है। जीवन की जटिलताओं, तनाव और चिंताओं को दूर करने के लिए माँ बगलामुखी का आशीर्वाद बहुत सहायक है। उनका मंत्र और ध्यान आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति हर कठिनाई का सामना हिम्मत से कर पाता है।
क्यों करें पूजा?
यदि आप जीवन में किसी तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हैं, जैसे करियर में असफलता, रिश्तों में दिक्कत या किसी अन्य मानसिक बोझ से दबे हुए हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा से आप अपने विचारों को शांति और संतुलन दे सकते हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं से मुक्ति दिलाती है। जीवन में जब भी हम किसी कार्य में सफलता पाने के लिए प्रयास करते हैं, तो रास्ते में अनेकों कठिनाइयाँ आती हैं—जो कभी-कभी बिना किसी कारण के उत्पन्न होती हैं। ये विघ्न व्यक्ति के जीवन में रुकावट डालते हैं। माँ बगलामुखी की पूजा इन रुकावटों को समाप्त करने में मदद करती है।
क्यों करें पूजा?
यदि आप अपने करियर, व्यापार, या किसी अन्य क्षेत्र में बार-बार विघ्नों का सामना कर रहे हैं, तो माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से आपको सफलता प्राप्त करने में आसानी होती है।
माँ बगलामुखी का एक प्रमुख गुण है—वह नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र के प्रभाव को समाप्त करती हैं। यदि कोई व्यक्ति तंत्र-मंत्र या काले जादू से परेशान है या उसे कोई नकारात्मक ऊर्जा का सामना करना पड़ रहा है, तो माँ बगलामुखी की पूजा एक प्रभावी उपाय हो सकती है।
क्यों करें पूजा?
यदि आप किसी नकारात्मक ऊर्जा या तंत्र-मंत्र के प्रभाव से परेशान हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा से आप उन सभी नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हो सकते हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा से केवल शत्रुओं से मुक्ति ही नहीं, बल्कि यह पूजा कार्यों में सफलता, धन-संपत्ति और समृद्धि भी लाती है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से कोई भी कार्य शांति और सफलता से सम्पन्न होता है। इसके साथ ही, माँ बगलामुखी व्यापार में वृद्धि, घर में सुख-शांति, और परिवार में समृद्धि भी प्रदान करती हैं।
क्यों करें पूजा?
यदि आप अपने व्यवसाय, पेशेवर जीवन, या व्यक्तिगत कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो माँ बगलामुखी के मंत्रों का जाप और ध्यान आपके जीवन को सकारात्म रूप से प्रभावित करेगा।
माँ बगलामुखी न केवल शत्रुओं को परास्त करती हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाती हैं। वह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं, उसके आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं, और उसे हर प्रकार की नकारात्मकता से उबारती हैं।
क्यों करें पूजा?
यदि आप जीवन में किसी नए मोड़ या बदलाव की तलाश में हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा से आप उन सभी नकारात्मक मानसिकता और विश्वासों से मुक्त हो सकते हैं जो आपके मार्ग में रुकावट डाल रहे हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि उनकी पूजा से न केवल शत्रु पर विजय प्राप्त होती है, बल्कि यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और जीवन में समृद्धि लाने का भी एक प्रभावी तरीका है। माँ बगलामुखी की पूजा से किसी भी प्रकार के विघ्न, बाधाएं, या शत्रु समाप्त हो जाते हैं, और जीवन में सुख, शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
यदि आप जीवन में किसी कठिनाई, शत्रु, या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो माँ बगलामुखी की पूजा आपके जीवन में शुभ परिवर्तन ला सकती है।
माँ बगलामुखी की पूजा एक विशेष और संजीदगी से की जाने वाली पूजा है, जो शत्रु पर विजय पाने, मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। यह पूजा खासतौर पर उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में किसी कठिन परिस्थिति, शत्रु से जूझ रहे हैं, या जिन्हें तंत्र-मंत्र से संबंधित समस्याएँ आ रही हैं। माँ बगलामुखी की पूजा में एकाग्रता, शुद्धता और श्रद्धा का होना बेहद जरूरी है।
माँ बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र के रूप में पूजा जाता है।
माँ बगलामुखी को स्तंभन शक्ति की देवी माना जाता है, जो शत्रु की शक्ति को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
पूजा में एकाग्रता, शुद्धता, श्रद्धा और सादगी का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पीले चंदन की माला का उपयोग पूजा में किया जाता है, जो माँ की कृपा को आकर्षित करती है।
हल्दी की गांठ का अर्पण पूजा में किया जाता है, जो शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक है।
पीली लकड़ी और पीले ऋतु फल का प्रयोग पूजा में किया जाता है, जो देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
प पूजा से पहले कुछ आवश्यक तैयारियाँ करनी होती हैं:
साफ-सफाई:
सबसे पहले पूजा स्थल को पूरी तरह से स्वच्छ और पवित्र करें। यह पूजा की प्रभावशीलता बढ़ाता है और वातावरण को सकारात्मक बनाता है।
पवित्र स्नान करें, ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध हो जाएं। शुद्धता पूजा में सफलता का मुख्य तत्व है।
माँ बगलामुखी के चित्र या मूर्ति की स्थापना:
माँ बगलामुखी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। माँ बगलामुखी का रंग पीला होता है, अतः पीले रंग का कपड़ा या आच्छादन बिछाएं।
मूर्ति या चित्र को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें, जिससे पूजा का सही प्रभाव पड़े।
माँ बगलामुखी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग किया जाता है:
पीला कपड़ा (माँ के यंत्र को लपेटने के लिए)
पीले फूल (चमेली, सूरजमुखी या मोगरा,गेंदे के फूल,चमकदार पीले गुलाब,पलाश)
घी का दीपक और लवंग (दीप जलाने के लिए)
कपूर (अग्नि में जलाने के लिए)
चंदन (पेस्ट या स्टिक)
फल और मिठाई (पीला रंग की प्रसाद के रूप में)
कच्चा दूध और शहद (अर्पित करने के लिए)
पीले फल (पीले रंग जैसे केले या आम)
पानी (पवित्रता के लिए)
बगलामुखी यंत्र (पूजा में शक्ति बढ़ाने के लिए)
स्मरण और ध्यान (Meditation and Dhyana):
पूजा शुरू करने से पहले कुछ मिनट शांत बैठकर माँ बगलामुखी का ध्यान करें। उनके रूप की कल्पना करें, जिसमें माँ अपने भक्तों को शत्रुओं से रक्षा करती हैं और उनके जीवन से सभी बुराईयों को दूर करती हैं।
ध्यान में आप माँ बगलामुखी के पीले रंग, सभी शत्रुओं का नाश करने की शक्ति, और विजय प्राप्ति की कामना करें।
मंत्र जाप (Mantra Chanting):
माँ बगलामुखी की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मंत्र जाप होता है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र हैं जो आपको जाप करना चाहिए:
"ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वशीकरोणम्।
नमो भगवते बगलामुखि।"
"ॐ बगलामुखि महाक्रूरी सर्वशत्रुनिर्मूलनं।
शत्रु प्रतिषेधायां सर्वविघ्ननिवारिणि।"
इन मंत्रों का जाप 108 बार या 1008 बार करें। जाप के दौरान, यह सुनिश्चित करें कि आपका मन एकाग्र और शुद्ध रहे।
यंत्र पूजा (Yantra Puja):
माँ बगलामुखी यंत्र को पीले कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल पर रखें। यह यंत्र माँ बगलामुखी के साथ जुड़ा हुआ शक्तिशाली रूप है, और इससे पूजा की प्रभावशीलता बढ़ती है।
यंत्र के ऊपर चंदन और पीले फूल चढ़ाएं और फिर उसका मंत्र जाप करें।
दीपक और कपूर से पूजा (Lighting the Lamp and Camphor):
घी का दीपक जलाकर उसे माँ के सामने रखें। दीपक को शांतिपूर्वक जलाएं और कपूर से धूप करें। कपूर की धुंआ नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और पूजा स्थल को शुद्ध करता है।
दीपक और कपूर जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और माँ बगलामुखी का आशीर्वाद जल्दी प्राप्त होता है।
प्रसाद अर्पित करना (Offering Prasadam):
पूजा के बाद, फल, मिठाई, पानी, और पश्चिम (अगर संभव हो) अर्पित करें। यह प्रसाद माँ बगलामुखी के आशीर्वाद का प्रतीक है।
फल और मिठाई माँ को अर्पित करें, और फिर इनका सेवन अपने परिवार के साथ करें। प्रसाद को दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
माँ बगलामुखी की पूजा का मुख्य उद्देश्य शत्रु नाश होता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
पीले कपड़े में बगलामुखी यंत्र को लपेटकर इसे अपने घर के प्रमुख स्थान पर रखें।
कपूर और नमक का इस्तेमाल कर पूजा स्थान को शुद्ध करें। शत्रु को परास्त करने के लिए घर के सभी दरवाजों और खिड़कियों पर कपूर की धुंआ करें।
पूजा समाप्त होने के बाद, कुछ समय शांति से बैठें और माँ बगलामुखी के आशीर्वाद को महसूस करें। मन में आभार व्यक्त करें और माँ से अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।
अंत में, "ॐ बगलामुखि नमः" का मंत्र तीन बार उच्चारण करें और पूजा समाप्त करें।
स्मरण रखें: पूजा में सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखना महत्वपूर्ण है। अगर आप पूजा को शांति से, मन से करते हैं, तो माँ बगलामुखी का आशीर्वाद शीघ्र ही प्राप्त होता है।
साप्ताहिक या मासिक पूजा: यदि आप नियमित रूप से पूजा करना चाहते हैं, तो सप्ताह में एक दिन (जैसे मंगलवार या शुक्रवार) विशेष रूप से बगलामुखी की पूजा करने से इसके प्रभाव में और वृद्धि होती है।
भजन और कीर्तन: आप माँ बगलामुखी के भजन और कीर्तन का भी आयोजन कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति और सकारात्मकता मिलती है।
माँ बगलामुखी की पूजा एक शक्तिशाली साधना है, जो शत्रु परास्त करने, मानसिक शांति पाने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। उनकी पूजा विधि में ध्यान, मंत्र जाप, यंत्र पूजा और प्रसाद वितरण जैसे कदम शामिल हैं, जिन्हें यदि सही तरीके से किया जाए, तो शत्रुओं से मुक्ति, मानसिक शांति और सफलता प्राप्त होती है।
माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से शत्रु नाश, मानसिक शांति और जीवन में समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। पूजा के लिए एक विशेष दिन और समय का चुनाव करना जरूरी है, ताकि पूजा का अधिकतम प्रभाव और लाभ प्राप्त किया जा सके। निम्नलिखित दिनों में माँ बगलामुखी की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है:
माँ बगलामुखी की पूजा के लिए मंगलवार का दिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है। मंगलवार का दिन मंगल देवता को समर्पित होता है, और माँ बगलामुखी भी युद्ध और शत्रुओं को परास्त करने की देवी हैं। इसलिए, मंगलवार को उनकी पूजा से शत्रु पर विजय पाने, मानसिक स्थिति को स्थिर करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के आसार अधिक होते हैं।
क्यों मंगलवार?
मंगल ग्रह का प्रभाव कार्यों में सफलता, शत्रु पर विजय और मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है।
मंगलवार को बगलामुखी की पूजा से शत्रु-नाश, तंत्र-मंत्र के प्रभाव से मुक्ति, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
शुक्रवार का दिन भी माँ बगलामुखी की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ है। शुक्रवार देवी-देवताओं की पूजा के लिए समर्पित होता है, और विशेष रूप से शक्ति पूजा के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से सिद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है।
क्यों शुक्रवार?
शुक्रवार को पूजा करने से जीवन में समृद्धि, शांति और सुख-शांति का वास होता है।
यह दिन माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय और नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए भी शुभ होता है।
अमावस्या (नव चंद्रमा का दिन) को भी माँ बगलामुखी की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्व दिया गया है। इस दिन का संबंध नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और मानसिक शांति प्राप्त करने से होता है। अमावस्या को शक्तिशाली देवी-देवताओं की पूजा से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है, और तंत्र-मंत्र से बचाव होता है।
क्यों अमावस्या?
इस दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है, और पूजा का असर अधिक मजबूत होता है।
अमावस्या को माँ बगलामुखी की पूजा से दुष्ट शक्तियों से मुक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है।
एकादशी का दिन भी विशेष रूप से शक्तियों की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। एकादशी को व्रत रखने और देवी-देवताओं की पूजा करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। यदि आप शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए कोई खास काम कर रहे हैं, तो एकादशी के दिन माँ बगलामुखी की पूजा से आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
क्यों एकादशी?
एकादशी के दिन उपवास और पूजा करने से आत्म-संयम, मानसिक शांति और भौतिक और आध्यात्मिक सफलता प्राप्त होती है।
इस दिन पूजा से शत्रु पर विजय और जीवन के किसी भी संकट से मुक्ति प्राप्त होती है।
पंचमी का दिन भी माँ बगलामुखी की पूजा के लिए विशेष महत्व रखता है, विशेष रूप से शत्रु नाश और वशीकरण के लिए। पंचमी के दिन पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के शत्रु से मुक्ति मिलती है और जीवन में विजय प्राप्त होती है।
क्यों पंचमी?
पंचमी का दिन शत्रु पर काबू पाने और मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए आदर्श दिन है।
यह दिन वशीकरण और शत्रु-नाश के उपायों के लिए उत्तम माना जाता है।
शुक्ल पक्ष के दिनों में पूजा करने से माँ बगलामुखी का आशीर्वाद जल्दी और प्रभावी रूप से प्राप्त होता है। शुक्ल पक्ष के दिन शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, क्योंकि इस समय चंद्रमा की सकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है।
क्यों शुक्ल पक्ष?
इस समय शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा के परिणाम अधिक अच्छे होते हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को विशेष रूप से की जाती है
शत्रु पर विजय प्राप्त करने और जीवन में सफलता के लिए शुक्ल पक्ष का समय सर्वोत्तम होता है।
नवरात्रि के दिनों में माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से शक्तिशाली मानी जाती है, क्योंकि इस समय देवी माँ की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान माँ बगलामुखी की पूजा करने से हर प्रकार की विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं, और सफलता प्राप्त होती है।
क्यों नवरात्रि?
नवरात्रि में पूजा करने से देवी माँ की शक्ति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
इस दौरान शत्रु परास्त करने के अलावा मानसिक शांति और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
माँ बगलामुखी की पूजा के लिए मंगलवार और शुक्रवार के दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा अमावस्या, एकादशी, पंचमी, और शुक्ल पक्ष में भी उनकी पूजा करने से अच्छा परिणाम मिलता है। सबसे अच्छा समय वह होता है जब आप पूर्ण श्रद्धा और मन की शुद्धता के साथ पूजा करें। इसके अलावा यदि आप नवरात्रि के दौरान पूजा करते हैं तो यह अत्यधिक फलदायक साबित हो सकती है।
आप अपने जीवन में जो भी समस्या या शत्रु का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान माँ बगलामुखी की पूजा से प्राप्त किया जा सकता है।
माँ बगलामुखी की पूजा हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को विशेष रूप से की जाती है। यह दिन माँ बगलामुखी की विशेष पूजा और उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन की पूजा शत्रु नाश, मानसिक शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है। आइए जानते हैं, क्यों वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन माँ बगलामुखी की पूजा के लिए आदर्श है और इस दिन पूजा करने से कौन से लाभ प्राप्त होते हैं।
वैशाख महीना हिंदू पंचांग का दूसरा महीना है और यह विशेष रूप से धार्मिक क्रियाओं, पूजा-पाठ और तिथियों के लिए महत्व रखता है। वैशाख माह में विशेष रूप से शिवरात्रि, नवमी, और अष्टमी जैसी तिथियाँ होती हैं, जिनका धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व है। इन दिनों में पूजा और उपासना करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है।
शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ने वाला पक्ष) में अष्टमी तिथि का एक विशेष महत्व है। अष्टमी तिथि का संबंध शक्ति और विजय से जुड़ा हुआ है। इसे विशेष रूप से सिद्धि प्राप्ति, दुष्ट शक्तियों को नष्ट करने और विजय के रूप में मनाया जाता है।
शत्रु नाश और विजय प्राप्ति: माँ बगलामुखी का विशेष रूप से शत्रु नाश, मानसिक शांति, और जीवन में विजय प्राप्ति से संबंध है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन अत्यधिक शुभ और ताकतवर माना जाता है। इस दिन माँ बगलामुखी की पूजा से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में किसी भी प्रकार के विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं।
विशेष तिथि और शक्ति का प्रभाव: अष्टमी तिथि को विशेष रूप से शक्ति और विजय से जोड़ा जाता है। माँ बगलामुखी का स्वरूप ही शक्ति और विजय का प्रतीक है। अष्टमी के दिन उनकी पूजा से इस शक्ति का अधिकतम प्रभाव पड़ता है। यह तिथि शत्रुओं के नाश, नकारात्मकता के समाप्ति, और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है।
सिद्धि प्राप्ति का दिन: वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को माँ बगलामुखी की पूजा से सिद्धि प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो किसी विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूजा के माध्यम से आप मानसिक और भौतिक दृष्टि से सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
कुंडली दोष निवारण: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शत्रु ग्रह (जैसे मंगल, शनि या राहु-केतु) से संबंधित दोष हैं, तो अष्टमी के दिन माँ बगलामुखी की पूजा करने से इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से राहत मिलती है। साथ ही तंत्र-मंत्र से जुड़ी समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
माँ की विशेष कृपा: माँ बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से उनके भक्तों को उनकी कृपा से सजग और शक्तिशाली बना देती है। इस दिन की पूजा से माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति को सभी प्रकार के विरोध और शत्रु से रक्षा करता है।
स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले पवित्र स्नान करें और अपने मन और शरीर को शुद्ध करें। यह पूजा की शुद्धता और श्रद्धा का प्रतीक है।
साफ स्थान पर पूजा का आयोजन: पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। इस दिन विशेष रूप से पीले रंग के कपड़े का उपयोग करना शुभ माना जाता है, क्योंकि माँ बगलामुखी का रंग पीला होता है।
माँ बगलामुखी के चित्र या मूर्ति की स्थापना: पूजा स्थल पर माँ बगलामुखी के चित्र या मूर्ति को रखें। अगर संभव हो तो पीले रंग के कपड़े में यंत्र को लपेटकर उसकी पूजा करें।
मंत्र जाप: माँ बगलामुखी के मंत्रों का जाप करें:
"ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वशीकरोणम्। नमो भगवते बगलामुखि।"
"ॐ बगलामुखि महाक्रूरी सर्वशत्रुनिर्मूलनं।"
इन मंत्रों का 108 बार या 1008 बार जाप करें। मंत्रों के उच्चारण से शत्रु नाश और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
पूजा सामग्री: पूजा में पीले फूल, चंदन, घी का दीपक, कपूर और फल अर्पित करें। ये सामग्री माँ के प्रति श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करती हैं।
प्रसाद अर्पित करना: पूजा के बाद, माँ बगलामुखी को फल और मिठाई अर्पित करें। फिर उन प्रसाद को खुद ग्रहण करें और दूसरों को वितरित करें।
दान और सहायता: पूजा के बाद, दान देना बहुत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से पीला कपड़ा, अनाज, और फल दान करें। यह शुभकामनाओं और आशीर्वाद का प्रतीक है।
शत्रु पर विजय: इस दिन पूजा करने से किसी भी प्रकार के शत्रु, विपरीत परिस्थितियाँ या अनावश्यक विवाद समाप्त होते हैं।
समृद्धि और सफलता: माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आती है। सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यवसायिक।
मानसिक शांति: इस दिन पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है, और मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
दुष्ट शक्तियों से मुक्ति: यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से मुक्ति दिलाती है, जिससे जीवन में कोई विघ्न-बाधा नहीं आती।
सिद्धि प्राप्ति: यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो जीवन में किसी विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं।
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी माँ बगलामुखी की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ और फलदायी दिन है। इस दिन विशेष रूप से शत्रु नाश, समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यदि आप जीवन में किसी प्रकार के संकट, शत्रु या विघ्न-बाधाओं का सामना कर रहे हैं, तो इस दिन माँ बगलामुखी की पूजा से इन समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है। इस दिन की पूजा से प्राप्त होने वाला आशीर्वाद जीवन में स्थिरता और सुख-शांति लाता है।